हरिर नाम हरिर नाम हरिर नामैव केवलम्।।
कलौऊ नास्तेव नास्तेव गतिर अन्यथा।।
गुरू ग्रन्थ साहब का कथन भी है।
अब कलू आयो रे।। इक नाम बोवो बोवो।।
सर्वधर्म आदर भाव धुन (1)
अल्लाह ही अल्लाह कहा करो। दुख न किसी को दिया करो।
वो दुनिया का मालिक है। नाम उसी का लिया करो।
राम-रहीम कहा करो। दुख न किसी को दिया करो। वो दुनिया का मालिक.....................
कृष्ण-करीम कहा करो। दुख न किसी को दिया करो। वो दुनिया का मालिक.....................
सतनाम सतनाम जपा करो। दुख न किसी को दिया करो। वो दुनिया का मालिक.....................
वाहेगुरू वाहेगुरू जपा करो। दुख न किसी को दिया करो। वो दुनिया का मालिक.....................
जिक्र.ए.इलाही किया करो। दुख न किसी को दिया करो। वो दुनिया का मालिक.....................
ईसा नानक कहा करो। दुख न किसी को दिया करो। वो दुनिया का मालिक.....................
बुद्ध महावीर कहा करो। दुख न किसी को दिया करो। वो दुनिया का मालिक.....................
सत्य पथ पर चला करो। दुख न किसी को दिया करो। वो दुनिया का मालिक.....................
निर्भय होकर रमा करो। दुख न किसी को दिया करो। वो दुनिया का मालिक.....................
एक बनो और नेक बनो। दुख न किसी को दिया करो। वो दुनिया का मालिक.....................
3-Allah-Hi-Allah-Duet-1
सर्वधर्म आदर भाव धुन (2)
श्रीराम जय राम जय जय राम।। श्रीराम जय राम जय जय राम।।
अल्लाह हू अकबर बिस्मिल्लाह बोल।। अल्लाह हू अकबर बिस्मिल्लाह बोल।।
सतनाम सतनाम सतनाम जी।। वाहेगुरू वाहेगुरू वाहेगुरू जी।।
बुद्धम् शरणम् गच्छामि।। धम्मम् शरणम् गच्छामि।। संघम् शरणम् गच्छामि।।
णमो अरिहंताणम् ।। णमो अरिहंताणम् ।। णमो अरिहंताणम्।। णमो अरिहंताणम्।।
हाले लूईया हाले लूईया हाले लूईया बोल।। हाले लूईया हाले लूईया हाले लूईया बोल।।
हरि बोल हरि बोल हरि हरि बोल।। हरि बोल हरि बोल हरि हरि बोल।।
एको है भई एको है, एको है भई एको है।। एको है भई एको है, एको है भई एको है।।
ईश्वर अल्लाह तेरे नाम।। सबको सन्मति दे भगवान।।
एकम् सद्विप्रा बहुधा वदन्ति।। एकम् सद्विप्रा बहुधा वदन्ति।।
सर्वधर्म आदर भाव धुन (3)
अरे न है कोई हिन्दू, और न है मुसलमान। जो तेरा रहमान है वो ही मेरा राम ।
जो मेरा रहमान है वो ही तेरा राम।।
इक बजाए घंटी और दूजा दे अजान। जो तेरा रहमान है वो ही मेरा राम।
जो मेरा रहमान है वो ही तेरा राम।।
एक पढ़े गीता और दूसरा कुरान। जो तेरा रहमान है वो ही मेरा राम ।।
जो मेरा रहमान है वो ही तेरा राम।।
एक रहे बरती और दूजा रमजान। जो तेरा रहमान है वो ही मेरा राम।।
जो मेरा रहमान है वो ही तेरा राम।।
सर्वधर्म आदर भाव विकसित करने हेतु शब्द, श्री गुरू गोबिंद सिंह जी (4)
मानस की जात सबै एकै पहचानबो।
हिन्दू तुर्क कोऊ राफजी इमाम शाफी।। मानस की जात सबै एकै पहचानबो।।
कोऊ भयो मुंडिया सन्यासी कोऊ जोगी भयो।।
कोऊ ब्रह्मचारी, कोऊ जती अनुमानबो।। मानस की जात सबै एकै पहचानबो।।
करता करीम सोई, राजक रहीम ओई।।
दूसरो ने भेद कोई, भूल भ्रम मानबो।। मानस की जात सबै एकै पहचानबो।।
एक ही की सेव, सब ही को गुरूदेव एक।।
एक ही सरूप सबै, एकै जोत जानबो।। मानस की जात सबै एकै पहचानबो।।
सर्वधर्म भाव विकसित करने हेतु शब्द गुरू ग्रंथ साहिब (5)
कोई बोले राम राम कोई खुदाए।। कोई सेवै गुसैयां कोई कोई अलाही।।
कारण करण करीम किरपा धार रहीम।।
कोई नहावै तीरथ कोई हज जाए।। कोई करे पूजा कोई सिर निवाए।।
कोई पढ़े बेद कोई कतेब।। कोई ओढ़े नील कोई सपेद।।
कोई कहै तुरक कोई कहै हिंदू।। कोई बाछै भिसत कोई सरगिंदू।।
कहो नानक जिन हुकम पछाता।। प्रभ साहिब का भेद तिन जाता।।