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यदि भौतिक महत्वाकांक्षाओं से रहित लोग इस देश का नेतृत्व संभालने के लिए आगे आएंगे और इस देश की बागडोर अपने हाथों में लेने का संकल्प लेंगें तो इस देश का भविष्य उज्जवल होगा। हम शीघ्र ही अपनी खोई हुई गरिमा को फिर से प्राप्त कर सकेंगे और स्वामी विवेकानन्द जी का कथन सत्य सिद्ध होगा। ‘‘जब सिंह के पौरुष से युक्त, परमात्मा के प्रति अटूट निष्ठा से संपन्न और पावित्र्य की भावना से उद्दीप्त नर-नारी, दरिद्रों एवम् उपेक्षितों के प्रति हार्दिक सहानुभूति लेकर देश के एक कोने से दूसरे कोने तक भ्रमण करते हुए मुक्ति का, सामाजिक पुनरुत्थान का, सहयोग और समता का संदेश देंगे’’ तब भारत अपनी खोई हुई गरिमा को फिर से प्राप्त होगा। वोह सुबह जिसका सदियों से इंतजार है उसका उदय होगा। भारत का पुनरुत्थान होगा।

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